Samvida karmi Honge Permanent में उत्तराखंड सरकार ने लंबे समय से सेवाएं दे रहे संविदा कर्मियों, दैनिक वेतन भोगी और अस्थाई कर्मचारियों के लिए Samvida karmi Honge Permanent में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है।
Samvida karmi Honge Permanent के बारे में
Samvida karmi Honge Permanent करने के लिए धामी सरकार ने संविदा और दैनिक वेतन कर्मियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा कर दिया है। सरकार ने कर्मचारियों की सेवाओं के विनियमितकरण के लिए संशोधित नियमावली जारी कर दी है और इसके तहत 4 दिसंबर 2018 तक नियमित सेवा दे रहे कर्मचारियों के लिए सरकारी नौकरी पक्की होने का रास्ता साफ हो गया है।
एक रिपोर्ट आपको हम दिखाते हैं। देखिए जरा उत्तराखंड में संविदा कर्मियों को सीएम धामी का उपहार संविदा कर्मियों की नौकरी पक्की करेगी धामी सरकार कर्मियों की विनिमितकरण नियमावली की गई जारी लगभग 1000 से अधिक कर्मचारियों को मिलेगा लाभ उत्तराखंड में धामी सरकार ने संविदा कर्मियों को बड़ा तोहफा दिया है।
Samvida karmi Honge Permanent में पक्की नौकरी
धामी सरकार ने संविदा कर्मियों की पक्की नौकरी का रास्ता साफ कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस ऐतिहासिक फैसले को हरी झंडी दे दी है। प्रदेश सरकार ने संविदा और दैनिक वेतन कर्मियों की बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा करते हुए उनकी सेवाओं के विनियमितकरण के लिए संशोधित नियमावली जारी कर दी है।
इसके तहत 4 दिसंबर 2018 तक नियमित सेवा दे रहे कर्मचारियों के लिए सरकारी नौकरी पक्की होने का रास्ता साफ कर दिया गया है। धामी सरकार के इस फैसले से उन हजारों कर्मचारियों को राहत मिली है जो सालों से नियमितकरण की राह देख रहे थे। फैसले से संविदा और दैनिक वेतन कर्मियों की जीत।
Samvida karmi Honge Permanent में धामी सरकार ने सुनी कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांग। उत्तराखंड की धामी सरकार ने दैनिक वेतन और संविदा कर्मियों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। क्योंकि हम सभी जानते हैं कि लंबे समय से जो संविदा कर्मी हैं।
वो प्रोटेस्ट कर रहे थे कि उनके नियमितकरण के लिए सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए और ऐसे में सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए 2013 की नियमावली में संशोधन किया है और नई नियमावली जो है उसको लेकर अधिसूचना जारी हो चुकी है।
Samvida karmi Honge Permanent में 2013 का नियम
Samvida karmi Honge Permanent इससे पहले 2013 में जो नियमावली थी उसमें 5 वर्ष तक जिन लोगों ने लगातार सेवाएं दी है उनको पक्का करने की बात कही गई थी। लेकिन हाई कोर्ट से उस पर रोक लगी और 2018 से लगातारइस नियमावली में संशोधन करने की बात कही जा रही थी।
लेकिन पिछली कैबिनेट में यह संशुति दी गई कि अब 2013 की जो नियमावली है उसमें संशोधन होगा। गौरतलब है कि उत्तराखंड में कई विभागों में ऐसे हजारों कर्मचारी हैं जो पिछले कई सालों से संविदा, दैनिक वेतन और अस्थाई पदों पर काम कर रहे हैं।
Samvida karmi Honge Permanent में से कई लोग 10 से 20 साल से लगातार सेवा दे रहे हैं। लेकिन उनके भविष्य पर हमेशा अनिश्चितता का धुआं छाया रहा। किसी भी समय नौकरी जाने खोने का डर, बढ़ती महंगाई के बीच कम वेतन और स्थाई कर्मचारियों के बराबर अधिकार ना मिलने की पीड़ा उनके जीवन का हिस्सा बन गई थी।
अनेक बार कर्मचारी संगठनों ने प्रदर्शन किए, ज्ञापन सौंपे और सरकार से गुहार लगाई कि उनकी सेवाओं को नियमित किया जाए। लेकिन धामी सरकार से पहले किसी सरकार ने उनकी नहीं सुनी। गौरतलब है साल 2013 में तत्कालीन सरकार ने कर्मचारियों के लिए नई नीति बनाई थी।
नीति के तहत 5 साल की सेवा पूरी करने वालों का नियमितकरण होना था। 2013 में बनी नीति सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गई। धरातल पर नहीं उतरी। साल 2018 से नियमावली में संशोधन की कवायद चलती रही।
Samvida karmi Honge Permanent में अब निर्णय हुआ। कर्मचारियों की सबसे बड़ी पीड़ा थी कि वे सेवा को नियमित कर्मचारियों की तरह ही दे रहे हैं। लेकिन उन्हें समान सुरक्षा और स्थित्व नहीं मिल पा रहा था। कर्मचारियों का दर्द किसी ने नहीं समझा। उनके हक की फाइल कई पड़ावों पर अटकती रही।
ऐसे में धामी सरकार का यह फैसला संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। इस निर्णय से लगभग 1000 से ज्यादा कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलने का अनुमान है।
Samvida karmi Honge Permanent में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
Samvida karmi Honge Permanent में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कर्मचारियों का हित उनकी ही सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। राज्य सरकार का लक्ष्य हमेशा कर्मियों का हित सुरक्षित रखना है। यह निर्णय उन सभी कर्मियों को न्याय देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
जिन्होंने वर्षों तक निरंतर सेवा देकर राज्य की व्यवस्था को सुरदृढ़ बनाए रखा। सरकार कर्मचारियों के हितों के प्रति संवेदनशील है और भविष्य में भी उनके कल्याण व सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाती रहेगी।
नियमावली के तहत अब कर्मचारियों की सेवाओंको नियमों के दायरे में लाकर उन्हें सरकारी ढांचे में स्थाई स्वरूप दिया जाएगा। माना जा रहा है कि धामी सरकार के इस कदम से ना केवल कर्मचारियों के लिए स्थित आएगा बल्कि सरकार पर उनके विश्वास को भी मजबूती मिलेगी।
कट ऑफ डेट तय 4 दिसंबर 2018 तक महत्वपूर्ण पड़ाव। कैबिनेट की मंजूरी के बाद शासन की तरफ से जो आदेश जारी किया गया है उसके मुताबिक 4 दिसंबर 2018 तक नियमित सेवा दे रहे सभी वर्गों के अस्थाई कर्मचारियों को विनियमितकरण का अवसर मिलेगा।
फैसले के अनुसार इन सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के लिए एक समान नियमावली लागू की गई है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में विनियुक्त नियमावली 2013 में संशोधन को मंजूरी दी गई थी। इस संशोधन के तहत नई नियमावली जारी की गई है।
जिसमें कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए। 4 दिसंबर 2018 तक सेवा देने वाले कर्मचारी होंगे पक्के। सभी वर्गों के कर्मचारियों पर अब समान नीति लागू होगी। सभी वर्गों के कर्मियों को एक समान ढांचे में शामिल किया जाएगा। कर्मचारियों के नियमितकरण की प्रक्रिया पारदर्शी होगी।
Samvida karmi Honge Permanent में विभागीय प्रमाणीकरण
Samvida karmi Honge Permanent में विभागों को प्रमाणीकरण सेवा, अभिलेख, सत्यापन और पात्रता की जांच के निर्देश दिए गए हैं। वरिष्ठता निर्धारित करने का तरीका भी नियमावली में स्पष्ट किया गया है। धाबी सरकार की इस नई व्यवस्था से उन कर्मचारियों को बड़े स्तर पर लाभ मिलेगा जो लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। लेकिन वह स्थाई कर्मचारी नहीं बन पा रहे थे।
लेकिन अब कर्मचारियों के नियमित होने से उन्हें स्थाई नौकरी की सुरक्षा मिलेगी। वेतन मान और सेवा शर्तें बेहतर होंगी। पेंशन, प्रोविडेंट फंड और अन्य लाभों के लिए पात्रता बढ़ेगी। परिवार के भविष्य को स्थित मिलेगा। साफ है कि धामी सरकार केवल नीति नहीं बना रही बल्कि कर्मचारियों के भावनात्मक और सामाजिक हितों को भी ध्यान में रख रही है।
राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि धामी सरकार ने यह दिखा दिया है कि वह केवल घोषणाओं की सरकार नहीं बल्कि घोषणाओं पर अमल करने वाली सरकार भी है। इसलिए यह कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए नियमितकरण, नियमावली का जारी होना एक ऐतिहासिक औरसंवेदनशील कदम है।
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