Outsourcing and Contractual जॉब के लिए दोस्तों आज का यह लेख Outsourcing and Contractual बेस में सुप्रीमकोर्ट की मुख्य सूचना पर आधारित है।
Outsourcing and Contractual के बारे में
Outsourcing and Contractual में हमारे लिए आउटसोर्सिंग जॉब और संविदा जॉब में अंतर क्या है। इसके बारे में बहुत कमेंट आते हैं तो हमने सोचा कि इसके बारे में कुछ जानकारी जुटा करके और इसको हम एक वीडियो के माध्यम से आपके यहां तक पहुंचा दिया जाए तो आउटसोर्सिंग जॉब और संविदा जॉब में बेसिक सा है।
कि दोनों सरकार के द्वारा ही निकाली जाती हैं आउटसोर्सिंग जॉब वो जॉब होती है जो सरकार जैसे यूपी आउटसोर्सिंग जॉब उत्तर प्रदेश सरकार निकालेगी झारखंड में झारखंड सरकार निकालेगी और जैसे केंद्र में भी होती है तो केंद्र सरकार निकालती है। आउटसोर्सिंग जॉब वह जॉब है। आउटसोर्सिंग आउटसोर्सिंग का मतलब होता है।
Outsourcing and Contractual का आउट का मतलब बाहर बाहर से जो आई हुई जॉब है इसका सीधा सा अर्थ होता है। जैसे हमारा मान लिया कि किसी भी विभाग में राज्य सरकार ने कोई कार्य करवाना है। किसी भी विभाग का काम हो तो किसी भी विभाग का काम करवाना है। और सरकार को लगातार सैलरी ना देने के लिए वह एक टेंडर निकाल देती है। तो वह टेंडर किसी ना किसी को कोई कंपनी ले लेती है।
और कंपनी और सरकार के मध्य एक बीच में एग्रीमेंट हो जाता है। कि कंपनी यह काम सरकार को करा करके देगी तो कंपनी जो होती है। वह सरकार को सरकार से काम ले लेती है। और वह कंपनी अपने स्तर पर वैकेंसी निकालती है उसको कहते हैं। आउटसोर्स कंपनी जब अपने स्तर से उस वैकेंसी को निकालती है।
और कंपनी ही अपने अपने हिसाब से उनको सैलरी देती है। जो आउटसोर्सिंग जॉब में काम करते हैं या नियुक्त होते हैं। जो आउटसोर्सिंग जॉब में नियुक्त हो जाते हैं। तो उनको एक एग्रीमेंट लंबा सा लंबा चौड़ा एग्रीमेंट होता है। उसमें एक लिखित में साइन करवा लिए जाते हैं।
कि आप यदि कार्य पूरा होने के बाद आपको बाहर निकाल दिया जाए जॉब से बाहर कर दिया जाए तो आप कोर्ट में नहीं जा सकती है। यह एग्रीमेंट साइन हो जाता है। इसीलिए आप सभी को यह पता होगा कहते हैं। कि आउटसोर्सिंग जो जॉब करते हैं। तो उनको कुछ सालों के बाद बाहर निकाल दिया जाता है।
लेकिन इसी के जस्ट विपरीत संविदा जॉब क्या होती है। जब कोई विभाग जब कोई विभाग संविदा पर किसी भी कर्मचारी को रखता है। तो उसकी सैलरी कोई कंपनी ना देक के वह विभाग स्वयं देता है। तो उसको कहते हैं। संविदा जॉब अच्छा संविदा जॉब में भी एक एग्रीमेंट होता है।
Outsourcing and Contractual कर्मी की समयावधि
कि आप 11 महीने तक काम करेंगे वैसे सभी समदा जॉब के लिए 11 महीने होता है। मिनिमम लेकिन 11 महीने हर बार स्टेंड होकर के हर साल बढ़ता रहता है। और उनको हटाया नहीं जा सकता क्यों नहीं हटाया जा सकता है। क्योंकि उनके लिए यह एग्रीमेंट नहीं होता है। कि उनको बाहर कर दिया जाएगा और आप कोर्ट में नहीं जा सकते हैं।
Outsourcing and Contractual के लिए यदि संविदा कर्मियों को बाहर किया गया किसी भी विभाग से तो संविदा कर्मी अपने ही हाई कोर्ट में जा सकते हैं। और उनके विरुद्ध कारवाही कर सकती हैं। इसीलिए संविदा कर्मी को लगातार उनको हटाया नहीं जा सकता है। क्योंकि वह लगातार काम करते रहते हैं। लेकिन आउटसोर्स वाले क्या होता है। कि जब वोह टेंडर पूरा हो जाता है।
Outsourcing and Contractual के लिए सरकार की दी दिया हुआ काम वह कंपनी पूरा करवा देती है। तो हो सकता है। कि वह कंपनी उसको सैलरी ना दे और उनको हटा दे लेकिन अब वर्तमान की बात जान लीजिए कि वर्तमान 2025 दिसंबर में एक प्रस्ताव संसद में पारित हुआ था। क्या हुआ था संसद में प्रस्ताव पारित हुआ था।
कि लगभग हमारे देश में लगभग 9 लाख से अधिक कैंडिडेट आउटसोर्स के माध्यम से जॉब कर रहे हैं। अच्छा आउटसोर्स के माध्यम से जो लोग जॉब करते हैं। तो जॉब करते समय जॉब करते समय वह पढ़ाई तो कर नहीं सकते हैं। यदि सरकार उनको कुछ वर्ष काम करा करके जैसे पा साल या जितने भी काम होता है। उनका पूरा काम हो जाता है।
Outsourcing and Contractual में कंपनी का यदि बाहर निकाल दे तो वो तो दोनों तरफ से जाएंगे वो पढ़ाई भी नहीं कि और उनको परमानेंट जॉब नहीं मिलेगी तो इसीलिए एक प्रस्ताव पारित हुआ है। कि जो आउटसोर्सिंग कर्मचारी होते हैं। उनको भी परमानेंट सैलरी दी जाएगी लेकिन कंपनी सैलरी ना देक के वह विभाग देगी जैसे कि संविदा के लिए विभाग देती है।
Outsourcing and Contractual का तयं वेतनमान
Outsourcing and Contractual के सैलरी यदि हमें यह प्रस्ताव पारित हो गया और पास हो गया तो आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को भी बल्ले बल्ले समझिए क्यों क्योंकि यह अगर हमें कोई विभाग 16 से 18 हजार देगा तो हमें फिर उसमें कोई दिक्कत वाली बात नहीं है। क्योंकि फिर उनको नहीं निकाला जा सकता है। जब विभाग हमें सैलरी देने लगेगा इसका मतलब है कि हम सरकार के ही कर्मचारी हैं।
अभी सरकार के कर्मचारी नहीं है। अभी आउटसोर्सिंग जो चलता है। हम उसके विरुद्ध कोर्ट में नहीं जा सकते हैं। लेकिन जब विभाग हमें देने लगेगासैलरी तो हम उसके विरुद्ध हम कोर्ट में जा सकते हैं। उसके विरुद्ध कोर्ट में जा सकते हैं।
तो यह था बेसिक चीज आउटसोर्सिंग कर्मचारी और समधा कर्मचारी में दोस्तों ज से एक उदाहरण के हिसाब से समझ ले कि जैसे मान लिया कि हम कोई ठेकेदार हैं। तो ठेकेदार बेस पर किसी को काम करवाना है। तो ठेकेदार को ठेका दे देता है। इसी प्रकार आउटसोर्स होती है। कि कोई राज्य सरकार किसी कंपनी को ठेका दे देती है।
Outsourcing and Contractual की यदि जैसे किसी ठेकेदार ने काम के लिए ठेका लिया यदि वह काम पूर्ण हो गया तो काम पूरा होने के बाद क्या कर्मचारियों को मजदूरी के लिए लगाए रहे नहीं यही सिर्फ यही बेस अभी चल रहा था। बेस एक सा फंडा था। कि जो आउटसोर्सिंग कर्मचारी थे। तो उनको कंपनी काम पर रख तो लेती थी। लेकिन काम खत्म होने के बाद हटा देती है।
Outsourcing and Contractual की अन्य जानकारी
लेकिन कुछ कर्मचारी ऐसे भी होते हैं। कि वो लगे रहते हैं। ऐसा क्यों ऐसा इसलिए आप बेसिक सी चीज समझो यदि किसी ठेकेदार ने कोई काम किसी लेबर से करवाया यदि वो लेबर बहुत अच्छा काम कर रहा है। तो क्या ठेकेदार उस लेबर को छोड़ देगा वो तो अगले काम के लिए भी रख लेगा यही है।कि जो कंपनी में अच्छा प्रदर्शन उस काम के लिए अपना अच्छा योगदान करता है।
तो वह कर्मचारी नियमित बने रहते हैं। उनको नहीं हटाते हैं। कुछ कर्मचारियों को हटा दिया जाता है। यही था तो दोस्तों यह था बेसिक फंडा और यदि लेख की जानकारी अच्छी लगी हो आउटसोर्स और संविदा में अंतर अच्छा लगा हो तो लेख को लाइक और शेयर सब्सक्राइब जरूर करें इसमें भी यदि कोई डाउट हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करना ना भूले धन्यवाद
दोस्तों मेरी Outsourcing and Contractual की जानकारी में अपनी राय और प्रतिक्रिया अवश्य करें। जिससे मैं आयी हुयी कमियों में हम सुधार कर सकें।








